म्हैं वर्तमान मं

जीवण सारू

भविष्या रा गर्ता मं

सन्तोख रो

गेलो देखू हूं

पण

पोथ्यां में दब्योड़ी

इतियास

अर मुसाणा में दब्योड़ो मानखो

अलसायोड़ौ फूल ज्यूं

म्हारी निष्ठा नैं

डिगावण

सारू होज बरणीज्या है।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : जयकृत्त शेखावत 'अकेला' ,
  • संपादक : दीनदयाल ओझा