अेक
ढाय दो वा भींत
जकी बणाय दियो है
अेक दायरो
जिण सूं जकड़ीज्योड़ी है
थारी हंसी-खुसी,
जोबन अर चंचलता।
दोय
तोड़ न्हांखो वा सांकळ
जकी बदळै थांनैं
अेक जींवती लास मांय
अर भरै बसका
काळजै रो खुणो-खुणो
बळती आतमां रै बिचाळे
कोनी उठै धुंवो ई।