सहीद—

करतब री लिछमण रेखा में कैद

सूळ री सीता

जिण नै नातां रिस्तां रौ रावण

ना विलमा सकै

सहीद—

के जिण रौ तन मन

थारै बिगुल री अवाज सूं

बन्ध्योड़ो हुवै है

अर इण अवाज रो चक्रव्यूह

ना मायड़ री ममता

ना धरण रो हेत

अर ना टाबरां री किलकारयां

तोड़ पावै है

उण रौ जीणो-मरणौ

बांरी मरजी रै

हवालै हुवै है

थारै इसारां पै

जद बिगुल कूकै है

सहीद रा पाखीणा पग

बध जावै है

मृत्यु मारग माथै

थारै कागदी रूंखा नै

निजू लोही सूं सींच'र

हरिया राखै है।

थारी हर बात माथै

मर मिटै है

पण थूं

समझौता रै क्रूर पगल्यां सू

अेक छिण में

कुचल नांखै है

लोही सूं पोंगरचा रूखड़ा

थारी दीठ में

वा मौताळी रम्मत

टाबरां री लुकणादाई सूं बधीक

कांई नीं हुवे

अर थारा कारज

सहीद रौ मठ मार नांखै

अर जद

बलिदाण रै कुंड न्हायैड़ी

सहीद री आत्मा

सावण री औळू में

धारौका बवाती

सहीद री परणी तण

थारै हाथ

कूख री अमानत रूपावाळी

सूर वीर निपजावणी मां

अर 'बापू बेगा आजौ जी' री

रट में अतळूजता

बापड़ा निनका टाबर

थां सूं पूछता रैय जावै

कै थूं क्यू लगायो

कागदी रूखड़ां रो बाग

क्यू दीवी ही

बिगुल में फूंक

नगाड़ां पर थाप

किण नै पूछ'र उठाया

समझौतां रा पांव

थूं चुप हो

सहीद री मौत माथै

बुलायेड़ी सोक सभा री गैळ

जाणै मूंडै में जीभ कोनी।

सींव रे कांटै

टोंढा बळतै तावड़ियै

धूड़ रो खांफण ओढ्योड़ौ

सहीद री पावन लास

आंध्यां रै होठां

रळकता 'पार' रा गीत

घरां में मसाण जिसी सुन्न

रैय रैय डुसकां री भणक

चूड़यां री

सतरंगी ओढणी रा लीर-लीर

धूड़ां कळोजती

काजळ-कूंपळी नै सिंदूर

जे थूं

देख सुरण सकतौ।

तो स्यात

थारा ऊंचायेड़ा पांव

उचायेड़ा रैवता

बांरी पळकां

दुस्मी पंथ ना बिछती

अर थूं

उण मौत नै

बिसरावण री हिम्मत नीं करतो

सहीद रा टाबर बापड़ा

दाणै-दाणै नै नीं सिकता

अर मां

झुर-झुर नीं मरती

थै सहीद री लास

सोनै रे फ्रेम में मढार

हीरै ज्यूं ऊजळी मैड़ी में

सजार राखी है

ताकि देस री जवानी

थारी चौखटां में

केद हुवण नै

तरसती रेवै

थारै इसारां पर

मरती रेवै

सहीद हुवती रेवै

अर थूं

साल में दो बार

फगत दो बार

मून राख्या करै

अगरबती खेंच्या करै

गिलसरीन रा बेलड़ा आंसू

ढळकाया करै

जे मूड हुवै तो

सहीद रै चौतड़ै माथै

फूल पांखड़ी चढाया करै

सहीद री लास

कदै थारै खांधै हुवै है

कदै थारी धजा पर

फैरावै है

कदै पोस्टरां री भासा वणै

तो कदै

चुनावाँ री परिभासा बण

थारी हवस री

सिकार हुय जावै है

हर जागा हर बार

सहीद री लास

न्यारी-न्यारी हुवै है

क्यूं के

थारी गोता में

सहीद री लास री

महिमा गाईजै है

उण लास री बलि सूं

राजी हुवै है

जनता-जनारदन

या थारी रामायण

बतळावै है

अर इण वास्तै

परदेसां सूं

भीख, दान करज लै'र

सीवां माथै खोली है

सहीद निरमाण फेक्टरयां

अर फेर

मिनखां रौ ग्रास खोस 'र

तोपां बंदूकां रौ

पेट भरै है

थारै खेतां में

अन्न री जागा

बारूद रा गोळा नीपजै है

उण फैक्टरयां रो काचौ माल

देस री बीस किरोड़ मावड़ियां

कोख सूं पूरै है

फैर थारौ अरथ-सास्त्र

उणनै अेवज में

कांई देवै?

सहीद नै

दो मिनटां रो मून

का करणो सड़क गांव रौ नांव

परणी नै

सुई, डोरा, सिलाई मसीन

ताकि वा मायड़

बरदी रा बोरा

सीवती रेवै

फैक्टरी में

काचौ माल मैलती रेवै

थै बणता रेवौ

थै सलामत रेवौ?

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : पुरुषोत्तम छंगाणी ,
  • संपादक : दीनदयाल ओझा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित संगम अकादमी