सबद री सारथकता

वाक्य रौ टुकड़ौ बणणै में नी

वाक्य रौ अरथ

परगट करणौ में व्है,

जिकौ सबद वाक्य रौ

अरथ नीं जताए सकै

वौ कमजोर सबद व्है;

म्है वौ सबद हूं

जिणरौ परयाय

दूजौ कोई नीं

म्है खूद हूं

अनेक अरथ वाळौ नीं सई

एक अरथ वाळौ सई

सौरथक तौ हूं।

केई बार

सबद नै गळत ठौड़

धर देणै सूं

आखौ वाक्य इज

गळत व्है जावै है

स्रोत
  • पोथी : सावचेत रैणौ है ,
  • सिरजक : मदन डागा ,
  • प्रकाशक : साहित्यागार जयपुर