दुनियां में भांत भांत का रूप पड्या है बेपरमाण

पण देवीजी रूप आपको किरण सबदां में करू बखाण

रंभा अर मेनका उर्वसी जे थारै कन्नैं आज्या

तो सांची कूं बै तीन्यूँ हीं चकित हो पछाड़ खाज्या

दमयंती ही नहीं रती भी थारै प्रागै सरमावै

कामदेव खाज्या गुरगंडी जे थारै नीड़े आवै

आंध्र देश की मांटी लेकर एक मुस्त छत्तीस घड़ी

घणै चाव से खुद बेमाता थारी या मूरती घड़ी

मावस की रात सें रूप ले अम्मर बकरें सैंले गंद

सिड़ते कांदा को रस लेकर थामें पूर्यो गरदभ- छंद

दो मोटी मोटी टांगां पर काळी काळी सी काया

बिनां सूंड की आदी हथणी रची बिधाता की माया

खाली दोन्यूँ पग तोलै तो होज्यावै दो मण दस सेर

जांपै गोडा चोड़ै चिलकै कमरबंध का सा नाळेर

और चाल की अजब लचक में तो बेमाता गजब कर्यो

थासू सरमां मरतो ही तेमूरलंग बेमोत मर्यो

सिर एयां को जियां घडूंची पर तारू को मूंणियूं

नाक इस्यो ज्यूँ बिन तागां को एक बडोड़ो भूणियूँ

और नांक की हाडी जाणें माथै में रुपरी खूंटी

बो भी टप टप टपकै जाणै ढीले वासर की टूंटी

और नाक का दोन्यूँ छिद्धर जाणैं ऊला चुला हो

दोन्यूं होठ इयां ज्यूं कोई भीज्योड़ा बड़कूला हो

होठां की पापड़ी' जिब्या ज्यू बिन धुपी रकाबियां

दांतों की बत्तीसी जागें गोडरेज की चाबियां

जद भी थे थारै श्रीमुख से कोई बैग उचारो हो

तो लागे ज्यूं डी०डी०टी० को छुट्यो फुंवारो हो

माथै की काळी सलेट भळकै ढाळय्योड़े सीसै सी

बीं पर या बींदी सुहाग की एक पुराणैं पीसै सी

आख्याँ जाणैं ढ़ीबसियाँ पै कोई रगड्यो कोयलो

पळकाँ जारौं दावै मरती आख्यां मार्यो खोयलो

भाफण जाणैं भूठी कैचीं सैं कतर योड़ो झब्बो है

गोळ गळो यूं लागे जाणें कोलतार को डब्बो है

बीकै ऊपर गोळ गोळ काळी काळी थारी ठोडी

लागै जाणैं चिपी पड़ी हो भाँग घोटणैं की लोडी

उळझ्योड़े बाळाँ को गुच्छो जियां घड़े पै बेवड़ो

बां में चुट्टो यूं लागे ज्यू जेवड़ियां को जेवड़ो

अर दोन्यूं हाथां सैं जद थे थारो भोड खुजावो हो

तो अणगिण जूंवां की जुणां धरती पर बरसावो हो

नहीं पदमणी और चित्रणी, नहीं हस्तणी- संखणी

ऐयाँ की पाँचवीं नायिका नाम कढायो डंकणी

स्रोत
  • सिरजक : विश्वनाथ शर्मा विमलेश ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी