चूल्है रा ताप मांय

पिघळ रैयी है चांदणी।

पूरी गरमी साथै

तवा माथै इतरावै है

गोळ-गोळ सूरज।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : शिवदान सिंह जोलावास ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham