बाळपणै मांय लगायोड़ै

अेक रूंख नैं जद देखूं

जोबन रै आं दिनां

रूंख मुळकै

लागै

ज्यूं टाबर ठाम लेवै

आपरै बाप रा पग

जिद करै टोफी खातर।

काचा हर्या पानड़ां रो

न्हाण करै रूंख

म्हारै सिर माथै

अचपळो टाबर ज्यूं

बाप रै बाळां फेरै आंगळी

घर्र-घर्र चलावै गाड़ी।

नैणां बंद करियां म्हैं

आंतरै ताईं देखूं

अेक टाबरियो अेक बाप नैं

बाप होवण रो अैसास करावै।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : नीरज दइया ,
  • संपादक : चैन सिंह शेखावत ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
जुड़्योड़ा विसै