लुगायां री लाज-लूटण री

खबरां आवै अखबारां में

बांच'र लोग मुळकै

पण भेजै मांय बात

आवै कोनीं के

भाण-बेटी म्हारै है।

कन्या भ्रूण-हत्या री सुण'र

सगळा सळ घालै माथै में

बणावटी चिंत्या री

पण फगत

आपरो कसूर लुकोवण खातर।

रिश्वत रै जुलम मांय

अफसर नैं हटायो

खबर बांच’र

सिर हलायो कै ठीक कर्यो

पण खुद री छाती माथै

हाथ नीं धर्यो।

औसर मिटाणे खातर

कस राखी कड़

पण बित्तै

जित्तै आपरै काम नीं पड़्यो।

औसर रै ओसर

समाज-रीत है

कैय'र टुळावो लेवै।

दायजो ना लेवां अर ना देवां

पण बगत पड़्यां

छोरी नैं देवां अर

दियोड़ो कियां फेंका

कैय'र रुकै अर रुळावै।

छोटै परवार री बारखड़ी

कंठां याद पण

दूसरै छोरै री आस मांय

टाबरां री लैण लगा दी।

फूडपणो

किणनैं कोनी लागै अपरोगो?

पण संदूक रै मांय

सामटेड़ा गाभां में

लुकोयोड़ा राखै

अेड़ी मोकळी कैसिटां अर फोटूवां।

मिनखपणो आपरी जाण

अर पिछाण

पण मोस देवां

इणरो मणियो

जद पड़े थोड़ो-सो ताण।

चावै खुद रै होय जावै घाटो

अणचुक्यो अणभाख्यो

अनाप-सनाप

सबर है

पण पाड़ोसी रै होयोड़ो

थोड़ो-सो नफो

लगा देवै तालामेली

आखै डील में।

गुड़ खाणै में के अेब है

पण आटै में मिलाय

अर तेल में पकाय

गुलगुला बणाल्यां

तो वांनैं चाखणो

चोखी बात कोनीं।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : परमेश्वर लाल प्रजापत ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
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