यौ कैवौ
अजीब टैम आवी ग्यौ है
आजकल मनख
औसीका नै
रजाई नी
खौळी पैह्रावीर्यं हैं
अर पौमातं फरैं हैं के
बापड़ी रजाई नी पाती मअें
औसीका नी खौळ तौ हूं
अैक लीरी भी न्हें मली।
अर वा विच्यारै
के म्हारै
होय ना गौबा खावा
च्यारै बाजू
दोरं थकी बन्दाई जावू
सेंम’ज ग्यू
अवरथा थ्यू
धीमै-दीमै
रोज अैम’ज
थावा लागू
औसीका नै
रजाई नी खौळियै
मलवा लागी
अर
रजाई
कणां
खौणां मअें
पड़ी है।