गीतासार-

कै'ह राड़ बिचै

बाड़ चोखी

पण

जद बाड़

खेत नै खावै

तो कुण दोखी?

जीवणसार-

कै' राड़ तौ

भळै निभ जासी

पण

जे खूटग्यौ खेत

तौ बाड़ कठै जासी?

स्रोत
  • सिरजक : गजेसिंह राजपुरोहित ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी