म्हैं कवि कोनी बावळी!

कारीगर हूं

थारी-म्हारी प्रीत रौ

मै’ल चिणूं

इण बीच

काट-छांट में

जकौ कीं झड़ै

उण नै कविता गिणूं।

स्रोत
  • पोथी : आ बैठ बात करां ,
  • सिरजक : रामस्वरूप किसान ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन ,
  • संस्करण : pratham
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