म्हारै सारू

कविता

अेक कचेड़ी है

जकी मांय न्याय सारू

राखूं म्हैं

म्हारो पख।

स्रोत
  • पोथी : आसोज मांय मेह ,
  • सिरजक : निशान्त ,
  • प्रकाशक : बोदी प्रकाशन
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