आगीवाण

मौत नै कदै नीं चिंतै

नीं विचारै

नी गिनारै

पण, कवि इण गिनार माथै

आपरा सांस वारै

यूं मोत नै सिकारै

पोछड़ी मौत अर अमर जूण

ऊभै जोड़ा-जोड़ा

देवै दोना नै गेलौ-

देखा,

कुण-सो कठी नै पग मेल्हौ”

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : तेजसिंह जोधा
जुड़्योड़ा विसै