अेक रूंख काट'र

पांच रूंख लगायां

कुण सा पाप

धुपज्यै?

हित्या तो हित्या है..!

अेक माणस

मार'र

पांच जामण सूं

किस्या पाप धुपै?

जीव तो जीव है

रूंख अर मिनख में

कद मिटसी फरक!

स्रोत
  • पोथी : सपनां संजोवती हीरां ,
  • सिरजक : ऋतुप्रिया ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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