अंधारा ओवरा मांय

कारा गाबा पैन्या

घट्टी फेरवा ल्हारै

परबातिया गावती

बा सोचती राबोड़ी रांदवा री बातां

घर री पोळ मांय

धोरा गाबा पैन्या

रेटिंयो फेरवा ल्हारै

भजन गावती

बा बिचारती लापी-छौका री बातां

पणघट री मुंडेरा माथै

राती पीरी लुगड़ी औढ़ियां

गरगड़ी डोर ल्हारै

पिणहारी गावती

वे करती खाटी-मोरी छाछ री बातां

स्कूल री उतावल मांय

स्कर्ट-फ्रॉक पैन्या

साईकल रा पैडल ल्हारै

फिल्मी पैरोडी गाती

वै करै कचौरी—समोसा री बातां

सदी बीती, बीती बात बिसारी

मरदाना गाबा पैन्या

फर्राटा सूं गाड़ी ल्हारै

मोबाईल पे मुळकाती

अबै करै मनमोवड़ी बातां

पहिया रे फरबा मांय

कुंण कई पैन्या

कणी’कै ल्हारै

चड़ी चुप! जावती

वे विचारै पईसा—कौड़ी री बातां

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत फरवरी-मार्च ,
  • सिरजक : विमला भंडारी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर