पैल्यां तो थे काढ़ता, साजन सीधी टाळ
कैयां बावण लागग्या इब थे उल्टा बाळ
इव थे उल्टा बाळ, ल्हकोली थारी चोटी
ज्याणूं धोखो खार जुवानी आज्या ओटी
सिंगर फिंगर कर फिरो, घणां गैंल्या गैंल्यां तो
इस्या जुवानी में भी कोन्यां था पैल्यां तो
पैल्याँ सिर में घालता थे सिरस्यूं को तेल
इब कैंयाँ घालो सदा लोसन, अतर, फुलेल
लोसन अतर फुलेल सैंट गाबा में छिड़को
चाळीसी पाछै थे आछ्यो ल्याया फिडको!
थारो मन भी बढ्यो उमर कै गैल्यां गैल्यां
इस्या जुवानी में भी कोन्या था थे पैल्यॉं!
न्हांवां सदा इकॉतारै जद गरमी आज्याय
रोजीना कैंयां करां काया सैं अन्याय
काया सैं अन्याय लगाणूं ठंडो पाणी
हप्तै सैं न्हांवां सावरण से कातिग ताणी
बीं सै आगै फुलिस्टोप न्हॉणै को चांवां!
दीवाळी का न्हाया छारंडी नै न्हांवाँ!
जाडो आयो साजना थारै जी को फंद
न्हाणूं धोणूं कर दियो थे कदको ही बंद!
ये कद को ही भूल गया पाणी को मीनिंग
कोई थारै जिस्यो चलाई ड्राईक्लीनिंग
सारी रात रिजाई सैं मुँडो नहिं काडो
बाळं जोगो थानैं यो के क्हैसी जाडो!
काठी गंजी पैरकै पैरो एक कमेच
दो दो सूटर ठांसकै जड़ बटणां का पेच
जड़ बटणाँ का पेच कोट ऊपर सैं ठूंसो
बींकै ऊपर गोडाँ ताणी ओडो धूंसो
ईनैं जाडो कहुं'क कहूँ साठी बुदनाठी
लियाँ क्हवै पैं फिरो रात दिन कामळ काठी!
गरमी आई साजना हुया उघाड़-पघाड़
पड्या रहवो पंखै तळै दिन भर भींच्यां जाड़
दिनभर भींच्यां जाड़ सतावै गरमी थानैं
ईं गरमी को पड्यो न बेरो डाकदरां नै
जद से चाँदी के भावां में नरमी आई!
थार दोन्यूं कान्याँ से हीं गरमी आई!
उल्टा सोदा थे करो तेजी मंदी खा'र
आंगळियां सै ल्यो' र थे बेचो बीच बजार
बेचो बीच बजार, फरक सैं जोटा खावो
सुपनैं में भी थे रात्यूं खावो'र लगावो
थे तारूणी करणैं में हीं होरया मोदा
पण मन्ने लागैं ये सगळा उल्टा सोदा
छुट्टी आई साजना सोल्यो थोड़ा ओर
संडे नैं होवें सदा साढ़े दस पै भोर
साढ़े दस पै भोर निमट कर मूँडो धोवो
पीकर चा' सिगरेट ताँण के ओज्यूं सोवो
पुरब जलम में थे साग्योड़ी करी कमाई
मौज करण नैं थारे ही गुण छुट्टी आई
ब्याकर चाल्या दो जणां संग बराती तीन
गुटगुटियो सी बीनणीं, लटखटियो सो बीन
लटखटियो सो बीन हाथ पग छोटा छोटा
चालै जद बीनणी धरै पग ओटा ओटा
धन बामण नाई नैं! आछया गैलै घाल्या
जाणैं कोई घुड्डा घुड्डी ब्याकर चाल्या
बेमाता भागी घरां घड़ कर थारी खोड़
कुण रूपन्तो कर सकै जो थारे सैं होड
जो थारै सैं होड करे बै हबसी मरगा
भैंसो भील बिलाव सबी थारै में भरगा
चलतो फिरतो एक अजब घर अठै बणागी
घड़कर थारी खोड़, घरां बैमाता भागी
ल्याद्यो ल्याद्यो को बण्यो यो ग्रहस्थ जंजाळ
ल्याद्यो साजन बाजरो गुड़' र चणैं की दाळ
गुड़' र चणैं की दाळ मिरच धणियूं पर जीरो
दो कबजां को ट्रक एक धोती को लीरो
बंबई से कंठो, जैपर से चूड़ी ल्याद्यो
दिनगे सैं संज्या तक खाली ल्याद्यो ल्याद्यो
स्हारै स्हारै थी पड़ी कोठे में दो मूंण
पीसी चीणी एक में थो दूजी में लूं!
थो दूजी में लूंण समझ कै बीनें चीणी
लियो चूरमूं चूर गेरकै दूणी तीणी
खाताँ हीं चण्णाट उठ्यो चोटी में म्हारै
दो मूंणाँ नैं नहीं मेलणी स्हारै सहारै