चौफेर अणजाणी-सी पीड़ देखूं

गळगळो हो जाऊं।

सैंग निजरां

अणसुळझ्या सवाल साम्हीं

भीड़ बिचाळै

म्हूं अेकलो मिनख

पडूत्तर देवण सारू

अणचीन्ही-सी पीड़ बिचारूं

बोलबालो।

सैंग री पीड़ रा कारण

न्यारा-न्यारा है

सैंग री पीड़ नैं

सबदां री माळा मांय

किण बिद पिराऊं म्हूं?

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : सुधीन्द्र कुमार ‘सुधि’ ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी संस्कृति पीठ, राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति
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