अेक

थूं कांई जाणै
पीड़ कांई व्है?

वौ बोल्यौ —
म्हारै सबदकोस में
औ सबद इज कोनी।

दो

पीड़ म्हैं जाणूं
ज्यूं तातै लोह री
तावयोड़ी चीप
कवंळी चामड़ी माथै
आपरौ निसाण बणाय देवै
अेकर तौ पतौ नीं चालै
पण पछै दिखावै
आपरी ओळख
म्हूं जाणूं पीड़।
स्रोत
  • पोथी : अपरंच ,
  • सिरजक : गौरीशंकर कुलचंद्र ,
  • संपादक : गौतम अरोड़ा