मोट्यार पणै मांय परवार भी
अेक सुपनौ हुवै है
परवार भी सुपनैं रै हींडै मांय
हींडा हींडै है
बो सुपनौ अेक बड़ी कामळ री
तर्या होवै है
फैलेयोड़ो।
होळै-होळै उण मांय निजर
आवै है तिणा।
पैले तिणै रौ सरूवात होवै है
खुद रै ब्याव सूं।
दूजो तिणो छोरै रै
सगपण स्यूं।
अर फेर तिणां मांय बधेपो
होंवतों ही जावै, होंवतो ही जावै।
सुपनां हो जावै है, लीर-लीर
छिटी-छिटी हो जावै है
कामळ।
परवार परवार नीं रैह्वै
बो रह जावै है फगत
हांड मांस रो अैक पुतळौ
अबै उण नैं सरोकार नीं है
किण री
पीड़ स्यूं।
अबै हांसी ठठै रो भी कीं
असर नीं होवै।
अबै कोई नीं राखै किण री
उडीक।
अबै कोई बीमारी मांय भी
किण री सुध नीं लैवे।
अबै तीमारदारी भी बीतै बगत री
बात हुय जावै।
अबै किण रै हिड़दै मांय
सितारां रा तार नीं झनझनावै।
अबै चिड़कली री चहचहाहट
भी आंगण मांय नीं सुणीजै।
अबै आंगण'औ बंटग्यौ अर
मिनख भी बंट गया, साळ-आसरा
चुल्हा हो ग्या न्यारा-न्यारा
इण बिचाळै रसोई शब्द भी कठै
रोवै है, सिसकै है, डुसका भरे है।
अेक रै झरोखे सूं आवती पून
अबै दूजै नैं आछी नीं लागै
साळ-आसरा बंट्योड़ै मिनखा मांय
टाबरै रै हांसणै, बोळणै पर भी
जाणै लाग ग्यौ है, गैहण।
रम्मत रोळ्यां तो बौत दूर री
बातां है।
ऐड़ै माहौल मांय टाबरां खातर
घमण्ड सै नैं तोड़ देवै है
चोखे व्यवहार माथै, गुरूआं माथै
घमण्ड रो राज।
कवि आपरी कविता सूं खुसबू
खिंडा नीं सकै।
पुष्प खिळ नीं सकै।
प्रेम नैं पगोथिया नीं चढ़ण देवै है
ओ ही घमण्ड,
अर हो जावै है
अेक जीवतै परवार री मौत।