कोई अेक सईकै पार

पाछौ इणीं मारग आयौ अथाग पांणी

चौमासै री अणचींती बिरखा रै भूलै-ओळावै

जिणनै नदी रौ मारग कैवतां

भरीज जावतौ हीयौ कै

इणी मारग कदे'ई आया करतौ पांणी

अर जळा-मेळ व्है जावतौ हलकै रौ उणियारौ

उणी नदी री नंवळाई में

आखै मारग

बरसां तांई बणयोड़ी रैवती नमी

रूंखां अर वनराय माथै हरियाळी री ओप

अर तळ री सीरां में बैवतौ बारूंमास

अेक अछेह विस्वास हिबोळा खावतौ।

आयै बरसाळै

जद कदै'ई ऊमटती काळी कांठळ

आठूं-पौर धारौळां औसरतौ ठाडौ नीर

अर कदुरत री कळझळ में

व्हेै जावता आभौ अर जमीं अेकाकार

आखै हलकै में

पांणी पूग जावतौ ईरां-तीरां

भरीज जावता सगळा ताल-निवांण

पाळां अर ओकळियां मांय ढबतौ कोनीं

ऊफणती नदी रौ आड़ू वेग

अर मिनखां री आंख ऊघड़ण सूं पैली

पांणी उपरांखर फिर जावतौ नाडी-नेवटां

भरीज जावता मारग,

गांव-गळी अर गोरवां

पांणी बांध लेवतौ हलकै री सींवां नै च्यारूं-कूंट

जळ-परळै री अणाहूत अबखी में

इणी मारग जद आवतौ पांणी अणथाग,

अर पसर जावतौ ईरां-तीरां

धोरां री निंवळी ढाब में।

जिकां कदे'ई देखी नीं व्है

घर री भींतां अर पछीतां भिड़ती छोळां

वै कांई तौ कर लेवै आगूंच जुगत-जाबतौ

जिका अबखी पुल में सोधता रैवै

फगत की ओला

अर उडीकता रैवै ऊपरलै री मैर-माया

इमदाद नै-

बात सगळा जांणै कै

हियौ हारियां कोनीं व्है बंचाव

कंवळी काया रौ

नीं पूरजै सुख-संयात री आस

जद हिबोळां खावतौ

आवतौ व्है दरियाब

कायदां परबारौ-

पिंडां में आस अर आसंग राखियां

बंचै मिनख री जीवारी।

जांणां कै आभै सूं धारौ-धार

आठूं-पौर जद इकसार बरसतौ व्है पांणी

उण बगत खुद रै आपै नै उबार लियां

कोनीं ऊबरै संकट में घिरियोड़ै

मानखै रौ जीवण!

बात पण मांनी कै

जीवण नै पांणी चाहीजै

पयांळां पूगतौ

अर वौ आवै

आभै में ऊंमचता मेघां सूं अणंमाप

कुदरत यूं कोनीं पोखै माटी री ऊरमा

बात सोळै आनां पितयांणी

कै पांणी पूरै

तिरसी धरती री कूंख

अर धाप आयां हौळै-हौळै पसै च्यारूं-कूंट-

ऊंडाळी जिग्यां मं ठंभ जावै उणरौ वेग

बैवतौ नाळां-परनाळां

आगोतर सारू सांभ नै राखै जीवण री आस

आवतौ भख कोनी मांगै

जीवां री जूंण,

पांणी सूं जे ऊमर में राख्यौ व्है आछौ हेत

वौ पिंडां नै आपरी पूठ माथै धार

पार लगाय देवै जीवण री डूंगियां।

स्रोत
  • पोथी : आगै अंधारौ ,
  • सिरजक : नन्द भारद्वाज ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन ,
  • संस्करण : Prtham