तू याद कर

मैं थारी कलास में

जद पैन मांगण आयो

अ’र तू म्हनै

उतावळी हो’र पैन दियो

मैं पैन पूठो सौंप्यो

जद तू बोली-

थात्रै जरूरत है।

थे राखो

पैन, पैन नीं हो

दिल हो थारो

जको सौंप दियो

हरमेस सारू म्हनै तूं!

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक 6 ,
  • सिरजक : हरीश हैरी ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’