जे जमदूत नै

आदमी सूं

उण री पैचांण लैवण रौ-

नैम

अर

कायदौ हुवै तो

आज रौ माणस

उणनै अजै'ज

डफोळ बणा 'र

पाछौ

खाली हाथ मेल देवै।

स्रोत
  • सिरजक : गजेसिंह राजपुरोहित ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी