पगडांडी

जो चालतां चालतां सड़क

और सड़क सूँ राजमार्ग बणगी है

बात भूलगी है कि

बीं नै यो सम्मान दिवा वाला

बीं नै धूल सूँ सूरज बणाबा आला

बीं कै दायां बायां खड़ा हजारां बिरछ

आपणू अस्तित्व मिटा दियो है

आपणी जड़ा खुदवा दी हैं

बीं नै यो रूप देबा नै।

घण करा छोटा लाम्बां रास्ता

आपणू ‘स्व’ विलीन कर दियो है

बीं नै चौड़ा बा मैं।

बीं नै याद है

केवल आपरो वर्तमान

आपरो नुवों पद

आपरो बड़प्पण

और खुद रो अतीत भूलकर

जो काली नागण जइयाँ

बल खाती अभिमाण सूँ

परसगी है।

स्रोत
  • पोथी : मोती-मणिया ,
  • सिरजक : कुन्दनसिंह सजल ,
  • संपादक : कृष्ण बिहारी सहल ,
  • प्रकाशक : चिन्मय प्रकाशन