चड़वा नी चडा-चडी मांय

बोलवा नी हडा-हडी मांय

उतावर अेवी लागी कै

पगतू चुकी ग्या।

जागती जोत तारा अंतर मांय

भूल्या दुनिया ना मंतर मांय

मनवार अेवी लागी कै

पगतू चुकी ग्या।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत (मई 2023) ,
  • सिरजक : प्रदीप सिंह चौहान ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर