पाणी गेहरू है

वेतू नती।

सकलू सूं नती करतू

वायरी नती।

सब उब रई ग्यं हैं

आणां अन्दारा में

आणं डोंगरं वजू

मारै आय पाय

तारै

मै एकलै

साने साने

एक पगरवा हामरयो है।

स्रोत
  • पोथी : वागड़ अंचल री ,
  • सिरजक : प्रदीप भट्ट ,
  • संपादक : ज्योतिपुंज ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham