सगळी बातां

जद बीतगी

बणागी सूरज ओळूं रो

जिण मांय-

पिघळ-पिघळ

भरीजै फेरूं

झील म्हारी

ओळू री।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : किरण राजुपुरोहित ‘नितिला’ ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण