गूंगौ, बोळौ, आंधौ बण

बदळग्यौ ‘थूं’

ठावौ/थारौ मुलकां चावो नांव

न्याव!

अटकण लाग्यौ थूं

थारै दरूजां

जांणै रिनरोही में भंवतो

मिरगलो किस्तूरी री दौड़।

स्रोत
  • पोथी : अंवेर ,
  • सिरजक : मीठेस निरमोही ,
  • संपादक : पारस अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर ,
  • संस्करण : पहला संस्करण