आज नुंवो परभात नुंवां बिसवासां रो,
सिर पर पगल्या मेल अंधारो भागै है।
त्याग जुगां रो सौपो भरम कुहासां रो,
जाग्यो अब हिवाळो, भारत जागे है।
आळस पसवाड़ो फेरै अब सदियां रो,
रण-पथ पर ल्यो धूम मची अभियानां री।
रगत सरोवर उफणै जोबन नदियां रो,
आयो मरण-तिंवार, होड बलिदानां री।
अचरज री आ बात मिली पण देखण नै
राज करणिया लार, रिआया आगे है !
हाका कर कर गाल बजावणिया धणियां,
मरण-पंथ पर कूच करण रो मतो नहीं !
भामासाह सरीखा सरबस अरपणियां
पातळियै परताप धणी रो पतो नहीं !
माथां तणी तिंवारी दुरलभ हुई जठै-
बिन मांग्यां धन दौलत रा ढिग लागै है।
रंग-रंग बां सायर सूर सपूतां नै-
सींव रुखाळै, आन-बान पर मरै जिका।
'घणी खमा' बां रण-बंका रजपूतां ने-
मातभोम रो नांव उजागर करै जिका ।
दळबन्दी रा स्वारथ घोटे गळा जठे-
न्यारा-न्यारा मजहब सारा सागै है!