बेटी रै ब्याव में बुलावणो

खाली नूंतो नीं हो थानै!

म्हारो प्रेम हो,

म्हारी यादां ही,

म्हारो जुड़ाव हो थां सूं।

म्हूं आंख्यां बिछायां

उडीकै हो छैकड़ तांईं...

ढूंढै म्हारी आंख्यां

पण थे नीं पूग सक्या

स्यात थारी

कोई मजबूरी रैयी होसी!

स्रोत
  • सिरजक : दीनदयाल शर्मा ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी