भासा रा भाखर चढता
थाकै आखर
पांगळो ई रैय जावै
अरथावणो।
निज भासा बिन
होय जावै अंधारो
डूबै- जिण में इतियास।
स्रोत
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पोथी : मंडाण
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सिरजक : किरण राजुपुरोहित ‘नितिला’
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संपादक : नीरज दइया
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प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी
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- संस्करण : प्रथम संस्करण