नित नेम सूं

खावती आई

मोटी मछल्यां

छोटकी मछल्यां नै अठै...

ऊलळ्योड़ा

मोटा दरखतां हेठै

जगत में पनपै

नूंवी पौध कठै।

स्रोत
  • सिरजक : घनश्यामनाथ कच्छावा ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी