आपणै आंगणियै नीम
सदियां ऊभो नाती है,
जेठ में छतरी बणजा
जीव जुगां रो थाती है।
आंगणियै री सान है,
नीम दवा—दुवा री खान है,
घर बारै ऊभौ दीठै,
नीम नारायण रो थान है।
जिको लुटावै प्राण बायरो,
जिणरो जीवण में सीर है,
जुगती रै जीवण रो आधार,
नीम मानसरोवर तीर है।
सूखा पात घणा गुणकारी,
करै अनाज री पहरेदारी,
चाम रोग री अबखाई,
तुरत मिटावै सबै बीमारी।
जीवां नै जै बुद्धि देवै,
तुरत हवा में सुद्धि देवै,
नीम देखो दो—दो हाथ करै,
पर्यावरण सुद्ध दिन—रात करै।
बटोही नै छाया देवै,
बळती बावळ मंदक देवै,
नीम बरोबर नीवतो देवै,
नीम काळजै ठंडक देवै।
दोय नीम रा बीज लगावां,
खुसी आखातीज आवैला,
जीव जगत रो उपकारी,
नीम नारायण कहावैला।
खारी नीम—निंबोळी है,
जंगळ री मीठी बोली है।
इणीज रूंख में लाख गुण,
नीम घणै गुणां री टोळी है।