नेदर मे हुता अेने उठाडे मोबाइल

दाड़ो उगतं में गणंने हाथ में देकाय मोबाइल

पेल तो अेक बीजाने घेरे जाइने करता वाते

आजे तो आणा मोबाइल हूंस थई जये वातें

मोटं घरं मे तो अेक कमरा हू बीजा कमरा में मोबाइल

वाजे

पूसे अेक बीजा हू खबरसब करी लयं वाते आजे

हाऊजीने पूसे वऊ मोबाइल मातेहूं बणावू आजे खावा

मे

हाऊजी लके मोबाइल माते अेजे तमने गमे बणावो

भाणा मे

नानं सुरंने खावू वेपीवू वेअेहुवु वे

तो मांगे मोबाइलजो तमे ने आल्यू तो

करे खुब कजीया रोइने सोरं मांगे राज

आई बाप बी आलें मोबाइल थयं राजी आज

भणवूभणाबू ओपीसं नूं कामअे झूटू बोलवू अेवाते

करवी

बील भरवंअेफोटं खेसवअे नवी नवी सीजे जोवू

इसब हिकाडे मोबाइल लागे सबने वालू

जेने पाय ने है मोबाइल अेने लागे सब ठालू

अवे ते कोय मरी जाय तो ऊँ शांति लकीने

शांति आले अेक बीजाने मोबाइल

नेंदर में हुंता अेने उठाडे मोबाइल

दाड़ो उगतं में गणंन हाथ में देकाय मोबाइल।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत (मई 2023) ,
  • सिरजक : घनश्याम आर्य ,
  • संपादक : मीनाक्षी बोराणा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर