रिपियै का सो पोसा होगा, रामारयो देखो के होई (सै लुगायां सागै)

मोटो मोटो डबलिंग पीसो तो गोरमिण्ट के साथ गयो
पीछे छाती में एक कोचकै हाळो चाल्यो नयो नयो
जद कांगरेस नै राज मिल्यो कोचको पुराणूं मुंदवायो
नारॉं का मूंडा तीन लियां, छोटो पीसो सामैं आयो
पण चौसठ का क्यूं सो होगा, बानैं जाकर पूछो कोई
रामारयो देखो के होई!

रिपियै का सो, पीसै का दो, ओ इसो अजब चाल्यो हिसाब
जीनैं समझणनैं आंकड़िया भी कर  बैठ्या माथो खराब
इब नई गणित, इब नई म्हाजनीं, क्यूं आयो फैताळ नयो
म्हाटो नानूं सो है, पण लोगां कै जी को जंजाळ हुयो
बै बैठ्या चीम चाळ देवै, चाहे हरान होवो कोई
रामारय देखो के होई!

मालण

मैं तो बूणीं कै बखत मूळियां को खरलो बेचण ल्याई
तो एक मोडियो आ पूछयो पीसै की कै दी है माई
मैं एक बताई, बो ठाई अर झट धेलो सो पकड़ायो
मूली कै बटको भर' र कह्यो, ले नई चाल को हूं ल्यायो
मैं रोकर रहगी करम ठोक जद लड्यो म्हारलो नणदोई
रामारयो देखो के होई!

पंडताणी

म्हारै बै आज चुनियैं को जद सावो पुजा घरां आया
तो बै गणेस पूजा में आया, पीसां का बचिया ल्याया
गिणती का बै ही खरा पांच, जाँका सांचळ् ळा होय तीन
ठग कर गणेसजी नैं, बामण नैं, भलो बण्यो चूनियां बीन
तू करदी आद्यूंआद, इयां पंडत की पंडताणीं रोई
रामारयो देखो के होई!

सेठाणी

जाये काट्यो मालियो आज रिपिये का सो पीसा ल्यायो
गिण कै देख्या, पाया पिच्याणवैं, पांच कठे ही गेरयायो
ल्याकर नानड़ियै कै आगै ही मेल दिया आडू बोरो
मूठी भर भरकर खेलैं हो, सो चांणचकै गिटगो छोरो
बंच्या चुराणवैं, बै लेकर भी बैद न मेट सक्यो सोई
रामारयो देखो के होई!

जोतगण

मेरे घर हाळो सनीवार नैं ,साठ घरां में फिर फिरकै
कर लेतो रिपियो एक चित क्हैंया-जैयां वो फिर घिरकै
इब कद तो सो देळी लांगै, कद रिपिये का पीसा आवै
दुनियां सगळी स्याणी होगी सै बो ही पीसो खुड़कावैं
झखरी डाकोतण खड़ी खड़ी सनजी म्हाराज करी खोई
रामारय देखो के होई!

अटळाखू

पीसै  पीसै में तुलल्यो रे ऐयां को हेलो सुणतॉंई
मोटी सी एक बीरबानीं बीं कांटे पै तुलबा आई
मुगदर सा पगल्या ठार चांणचक बिनॉं कह्यां हीं चढ़ बैठी
चढ़तां हीं सूई गरणांफेरी खाकर टूटी, बा ऐंठी
झट दियो नयो पीसो निकाळ अर चाल पड़ी सामट लोई
रामारयो देखो के होई!

स्रोत
  • सिरजक : विश्वनाथ शर्मा विमलेश ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी