नकटा नै नाक नै

बांडा ने पूंस नै

मरद ने मूंस नै

तो एणनै कइये पूस नै।

नर नाक नै रोवै

पण नाक हुवै तो नाक करै

नाक आली नार नै

नारै नाक राकी ने नथ सौडी।

नथ हुवै तो नथ उतरै

नथ हैसनै आतो एक फैसन है।

मुं गामडीयो गांगौ

मुं हूं जाणुं, आतो एक सलण है।

आतो केवत सालती आवी है कै

नकटा नै नाक ने

बांडा ने पूंस ने

मरद ने मुंस ने तो एणने कइये पूस ने

कुंण के बांडा ने पूंस नथी या

एने तो पूस 'स पूस है

बांडो हजार में उरकायै

ऐने हकनै नै रेवाए।

लक्कणं नो बांडो

एनेतना गाय नो सोरो होनौ

पण हीरा नै अकल नु अजीरण थ्यु है

वीतो उनका समसा है

उसकी बोत उरकाण है।

पण मरद की मूंस नै

कुत्ते की पूंस नै

तो बजार नो आव उतरी जाय

फेमेली के के तमारी तो उमर जाडा है।

साफ सट राखो,

मीयां बीबी हरकं देखाएं

कोई जाणे नर नै

कोई जाणै नार

पण तुम देखाते समार्ट।

नवरी वात करो कै...

नकटा नै नाक नै

बांडा नै पूंस नै

मरद नै मूंस नै

तो एणने कई पूस नै।

पण मनक खारै बरतै है

एटले कए हैं के

नकटा ने नाक ने

बांडा ने पूंस ने

मरद ने मुंस ने

तो एणने कइये पूस ने

मरद नी मूंस

आको दाडो मुंसे आमरे

कोडी नु काम नै

ने घड़ी नी फुरसत नै

स्रोत
  • पोथी : वागड़ अंचल री ,
  • सिरजक : ललित भट्ट 'दादू' ,
  • संपादक : ज्योतिपुंज ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
जुड़्योड़ा विसै