मानो क्यूं नी थे

बात न्याव री

लाठी आळै साम्हीं

करो थे लटूरिया

निबळै सायल नै

क्यूं हळकाओ

उपजाओ क्यूं रीस

बा रीस तो

करवावै आंदोलन

रीस खावै

सूंई छाती गोळ्यां।

छाती में धर बैर

क्यों उगाओ

बदळै रा आकड़ा-काकड़ा

जिण री फेंट में आय

मरै मिनख

पछै जामै रुदाळ्यां

मरियोड़ा री चितावां माथै

पैली लगाओ हाट

पछै पाड़ो हेला

कराओ राजीनावां

आप बताओ

मिनख मार’र

कांई जरूरी है

राजीनांवै माथै

रबड़ री मो’र।

स्रोत
  • पोथी : चौथो थार सप्तक ,
  • सिरजक : संजय पुरोहित ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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