कांई पूछौ मिनखां री जात,

अै धोळै दिन रा बेचै रात।

पाड़ौ क्यूं नी भलेई माजनौ,

मुळकै अर काढ़ै दांत।

चाला ला हरद्वार कैयनै,

आटै छिटकावै साथ।

काढ़ काळजौ दूजौ थांनै,

वै हाथ हाथ नै खावै हाथ।

डाळ डाळ अर पानै पानै,

रमता पलटै वैता बात।

अपणायत री बाथ घालनै,

घणी करै है ऊण्डी घात।

हैतालू बण घणां हैज सूं,

नैड़ा निकळतौ ठोकै लात।

कांई पूछौ मिनखां री जात,

अै धोळै दिन रा बेचै रात।

स्रोत
  • पोथी : इन्दर नै ओळभौ ,
  • सिरजक : अमर सिंह राजपुरोहित ,
  • प्रकाशक : रुचिर प्रकाशन
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