जद म्हारा दादो सा समाइज्या

अर्थी लारै

सैंकड़ूं मिनख हा!

बाप समाइज्या

जणा बीसेक!

हो सकै

जद म्हैं मरूं...

चार नीं लाधै

अबै थे बताओ

मिनख घट्या कै बध्या?

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुनियोड़ी ,
  • सिरजक : भरत ओला
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