मारा गाम ना सौरा अवै,

हुना नै पुना लागे हैं

कुण करावे सुना नै सीमट

टूटता भाव जगावे हैं

मारा गाम ना...

पेल हरकी हिरिये नती

मलती मारा गाम मे

गऊडो नती रमवा हारू

बालपणा ना दाड मे

गल्ली डूणा, हम्पा कुकडी

रम्मा कुण अवै आवै हैं

मारा गाम ना...

घोड़ वडा नी लाज राकीट

लास करती वऊवारिये

हेरे, बँगडी, बूँर गुथी नै

ठनठनाती वऊवारिये

गीत माँग्लया वाट जुई रया

अवै कुण अेत्रे गनगावे हैं

मारा गाम ना...

बामूण, घासी, उसी, नीसी

जाँते हाते मलती ती

मेरिय हाते हाते करती

ईद नी हेवे खाती ती

गाम नी भाँगजेड वाट जुवे हैं

कुण मली नै जमावै हैं

मारा गाम ना...

लापी लाडूआ काला रूटला

पान्गेत में जमता ता

मनुअरै नी मोगी रीते

करी करी नै पीरता ता

ऊली वाली ढूँढ ऊपर

अवै कुण पापडी खवाडे हैं

मारा गाम ना...

केरिये पुकड आमलिय नी

रकवाली में फरता ता

नदी नाल नें वावडिय में

तरी तरी नै झिलता ता

खेतर खला नी आजरिय में

अवै कुण लूँस रे जमाडे हैं

मारा गाम ना...स

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत (मई 2023) ,
  • सिरजक : महेश पाटीदार ,
  • संपादक : मीनाक्षी बोराणा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर