छोटा भेख, बडी चतराई

फैशन मनड़ै भावै

म्हारो धरम भायलो!

ब्याव बिन्यां परणाई!

कुँआरी घरनार

परकीया को हेत

ढुळतौ जोबन

रुळतो जोबन

लट का फटकारा

लिव इन ब्याव बिन

मुळकणियों मोट्यार!

साँकळ

मदुवी बिनणीं

हरमच को टीको

माटी की मांग

धूळिया सुपना

दिखावटी बीन्द

म्हारै बीन्द को टाबर

थांरै माथै म्हारो हेत

मुलायजौ

जंगळ में जापो!

स्रोत
  • सिरजक : विमला महरिया 'मौज' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी