कठैई कीं तो को बदलियौ नीं
म्हारौ गाँव
बठै रो बठै ई
बेड़ो रो बेड़ो है।
बै री बै
बगारा हुयोड़ो घाघरो पैरियाँ
गलियाँ
चौंतरा रा अन्तरेवा लियां
एक सूं दूजे घर रा डोढ़ा लेपा जोड़’र
सांवतरी दरोगण ज्यूं ऊभी है
जिणनै कदै ई
बगत मांडई मांडई दारू पावतों
अर बा दाँत भींचती
बा इज आज
लीर झाण हुयोडो घाघरो पैरियां
पिणघट माथै बेवड़ी—बेवड़ी हुयां ऊभी है।
कारण,
जे इकेबड़ी ऊभी रै,
तो कढ़ती डोल रे झोटा में
कीं देखणौ बाकी नीं रेवै।
कठैई कीं तो को बदलियौ नीं
पैला ज्यूं आज ई
हर घर री ओल में देवता है
अर दरेक घर रे लारे ऊकरलो है
दरेक घर रै तुलसी थांनें दीवो बळै
अर दरेक चूल्हा में
बास्ते बुझियोड़ी है
अजै
सोमवार नै सिवजी रै चौंतरे
आखा नाखै
आखा दिन रा भूखा मिनख
सनि—मंगल हडमान रै तेल चाढ़ै
तावड़ै तलीजियोड़ा चैरा
सिंझारा टंकोरा बजाडे
गूंगा मनडां रा मिनख
अर
बडौ—छोटो पणै भूल
बरोबरी पक्का पखधर
म्हारे देस रा खरा समाजवादी—
कूतरा
चौतंरा नीचे कुत्ती रे लारे भमता भुसै
आ भौ माथे ले
छेवट थाक
टाँग ऊँची कर मूतै
अर चुपचाप ठीकरा चाटण लागे।
कठैई कीं तो को बदलियो नीं
मिनख केवै
के जुग पलटियो है
आँधा है म्हारे जुग रा मिनख
सुणी बात साँची मानै
म्हाने तो इतरो इ ठा है
के कांई ठा कांई
आंधा ने सकरकन्द कै’य’ र
झिलाय दियो है।
बीस बरसां पैली
ठाकर छठी ढुमली लाटता हा
अबै आध लाटै
जद मरियल घोड़ी चढ़ता
अबे कारां चढ़ै
जद काची ईटां रै धुड़ियोड़ै रावलै में
मूंज रे मरियल माथा माथै
लौ रे पोले री लकड़ी लियां सूवता
अबे तिखंडे मै’ल में
पलंग माथै बन्दूक लियां पोढ़ै
जद राम सूं इ डरता अर दरबार सूं इ
पण अबै
डर—भौ नांव
वां रै सबद कोस सूं बारे फैंक दीनो है।
चिलम भर’र कोई इ ठाकर बण सके
अर एम.एल.ए. री घणी इ चिलमां
आपरो खीरो
जनता रै मूंडा माथै मेल राखियो है।
सिरपञ्च है, वाड पञ्च हैं, आड पञ्च है
माथै री पटियाँ में थोड़ो तेल
अर घणी धूड़ घालियाँ
कोई सो चार आखर पढ़ियोडो छोरो
धोती माथे बुस्सट्ट पै’र’र
चा री होटल माथै बैठ
चालती छोरियां ने ताक-ताक
किण नै ई वजनी माल काढ़ सकै
अफसरां रो हाजरियो बण’र
बाबू आं नै सिगरेट पा
तीजै दिन नवो ठाकर बण सकै।
कठैई कीं तो बदलियौ नीं
म्हारौ गांव
बौरा जी रो डील हाल भारी है
कागला हाल काला है
मिन्ना हाल चूँटियो चाटै है
मरणौ अजै सुदी हाथ कोनी
जीणौ हाल तक लाचारी है।
म्हारो गाँव
बठै रो बठै ई
वेड़ो रो वेड़ो है।