हां, बेरौ म्हनै

चोखौ लागै,

अठै बसी है म्हारै

बाळपणै री यादां

जठै हेरती ही म्हैं

चिड़कलियां रा आळा

कबूड़ां रा माळा

अर वां रा नैनां-नैनां

बिचियां रै हाथ लगाय

लेवती वो सुख

जकौ आज नीं मिळै

हेरियोड़ौ ई!

हां, अठै इज तौ रैवता हा

भंवर जी, मांगौ, उणरी मां, खेमौ

कितरा लाड लडावता हा वे

नैना लीलू बाईसा नै

कठै गिया वै हैजळा लोग

आज सोधियां नीं लाधै वौ हैज

इणीज बेरा माथै हा

कीं रूखड़ा

कीं बोरड़ियां रा

कीं खेजड़ियां रा

तौ कीं बांवळियां रा

जका देवता म्हनै

बोरां, खोखां, गूंद अर पापड़ियां रौ

इधकौ सुवाद

कठै गयौ वो सुवाद

अबै तौ वेड़ौ सुवाद आवै कोनी

इधकै सूं इधकै जिमण में

म्हारै बाळपणै रा बेली

धूड़ा में ऊंडौ रैवणियौ ‘हाथिड़ौ’

बाड़ा में भरिया आंइणा नै

ठाणां बंधिया दूजड़ा ध्राव

कठै गीवी वा सिंझ्या जद

दुवारी करता सागड़ी

म्हनै हेलौ मार बुलाता नै

दूध री सेड़ां सूं

भरीज जावतौ म्हारौ

सगळौ मूंडौ

वो झागां चढी

दूध री बाल्टी सूं

आंगळी भर नै

सेडाऊ दूध रा झाग चाटणौ

आज म्हारै मूंडै

मुळक लैय आवै

इणीज बेरा री माटी री महक

इणरी साखां री खुसबू

निपियौड़ा लाटां री गंध

आज लग बसी है

म्हारै अंतस में

हां, इणीज बेरा माथै

म्हैं फिरती ही

म्हारा जीसा री आंगळी पकड़ियां

कूदती-उछळती

जीसा रै बारै गियां

जद जीसा री ओळूं आवती

तद पूछती

खेतां में चुगता सारड़ां नै

जीसा रौ पतौ

पण आज तौ वे सारड़ा कोनी

जिण सूं पूछूं म्हैं

म्हारै जीसा रौ पतौ

पण म्हैं जाणूं हूं कै

इणीज बेरा री

रज-रज में बसिया है म्हारा जीसा

हां, इणीज कारण

म्हनै बेरौ चोखौ लागै

स्रोत
  • सिरजक : धनंजया अमरावत ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी