अेक
म्हनैं ठाह है
उतावळो है दुसासन
आपवाळां रो
चीर-हरण खातर
अर आपां
हाथ माथै हाथ धर्यां
बैठां हां
अेक-दूजै सूं अळघा
दूर...दूर...दूर...
घणा-घणा दूर
कोसां रै आंतरै माथै
फगत उडीकां हां-
किसन नैं!
दोय
म्हनैं ठाह है
कदै-कदास ई
म्हारै स्हैर री सड़कां माथै
निकळै जळूस
अर भेळा होवै
उण रै साथै
तूटोड़ा मिनख घणा-सारा
हाथां मांय झाल्यां
झंडा अर तख्त्यां
लागै केई-केई नारा
जणै फेर
कोई इतिहास सिरजैला...।
तीन
म्हनैं ठाह है
नाप जोख’र
हैसियत मुजब
बणाया जावै
अजकाळै भायला!
अेक-दूजै री कमर में
खाज करणै रै राजीपै सागै
गूंथीजै रिस्ता।
इणी’ज खातर तो
आजकाळै टाळ दिया जावै
जरूरत ई कोनी रैयी अबै
बिना नखवाळां री।
च्यार
म्हनैं ठाह है
भाग माथै
पड़्या है भाठा
कैवतो थको मिनख
चढ जाया करै है
आपरी आंगळियां रै भरोसै
भाठां री दुकान माथै।
पांच
म्हनैं ठाह है
भीड़ होवै-
गूंगी-बोळी
अर
बावळी!
सावळ
कोनी बोलै
कोनी सुणै
अर समझै तो दर नीं!
छव
म्हनैं ठाह है
सबदां रो मलम
आवै कोनी कोई काम
उण जगां
जठै हरिया होवै घाव
अर मुद्दो होवै गरम।