रात्यूं जागता स्हैरां मांय
आखी रात
बावळो-सो घूमै अंधारो
जाग्यां सोधतो
घड़ी दोय घड़ी
लेवण नींद।
अठीनै देखो-
म्हारै गांव
जेठ रै आकरै तावड़ै मांय ई
छियां नैं लाधै ठौड़
खेजड़ली रै हेठै
बा तिरपत लेवै नींद।