जवानी मएं लागे है

हवाद घणा खाटा पड़्या

म्हारै शैर मएं पण

आतंक ना सांटा पड़्या।

शार दाड़ा थईग्या

मैं, बबलीए, बा नै म्हारै बईंरै

चा तक नथी पीदी

एकै कलाजी, कै अम्बाजी

नै मैं हनुमानजी ना दरशन नी

आकड़ी ली दी।

कैम के घोर मएं

खूटी ग्यू राशन

नै खावा ना घाटा पड्या।

रई रई नै बईरा हातै

रोज हातै फरवा जावा नी

वाते याद आवै हैं

होटल नी गरम जलेबी

नै सेव ममरी नो

मुंडा मएं हवाद आवै है

पण आजे ऊंदरं करीरयं अप्पा

नै कोटियं मएं डाटा पड़्या।

म्हारू घोर बणावती वेरे

रेत आनै पाणं हारू

नदीए नदीए रकड़्यो तो

नै बा नै ओपरेसन मएं

लुई सडाब्बा हारू

हजार रुपियं नो चेक भरयो तो

आजे गरियं गरियं मएं

लुई पीदेला भाटा पड़्या।

ठाठ बाट थकी फरता

आणा शैर ना सौरा

उडतं चकलं पाडता

नै आई बापत नी हीक नै

वाईदा वजू वारी

मुंशे आम्बरता’ता

जो आजे कैनेक हातै

कैनेक पोगे

नै कैनेक माथे पाटा जड्या।

पैलो जैपुर वारो नेतुड़ौ

वोट लईनै ग्यो त’

पासो फरी सोकटू नयी वताड्यू

अमारे त’ खावा नं फांफं

एनै दीकरा नै हवाई यू

अवै जोवो एकत्रे दाड़े

मंत्रीयं ना सपाटा पड्या।

आवी गन्दी हवा थकी

मनक मनक नी नज़र मएं

जेर भराई ग्यू है

म्हारै आफिस पण बन्द

नैं बबली नी सूल मएं तारो

दादाजी नुं दिल भराईग्यू है

कैम के हेतीए सडक माथै

खाड़ा खाईयं नै कांटा पड्या।

वात घणी हरम नी है

पण मनै लागै है

आणा शैर ना भाग जाग्या हैं

कैम के म्हारै दादोजी

मनै पाय बेवड़ावी नै

रेड़िया हामरवा लाग्या हैं

जुओ पेलीस् वेरा

अखबारं मएं

कैवा फोटा पड्या।

म्हारा शेर मएं पण

आतंक ना सांटा पड़्या।

स्रोत
  • पोथी : वागड़ अंचल री राजस्थानी कवितावां ,
  • सिरजक : दिलीप सोमेश्वर ,
  • संपादक : ज्योतिपुंज ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादनी बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण