सगळा मंगता-मंगती
भेळा होया
गंगा रै किनारै
आपसरी में करवा लाग्या।
घर विध री बात्यां
देस री स्थिति पर भी
कई बात्यां-चीत्यां करी
एक काणो मंगतो
बीड़ी सिळ गांवतो
बोल्यो
म्हैं आप लोगां रै
सामैं म्हारो एक प्रस्ताव
राख रहयो हूं
जोर सूं कठां नै साफ करतो
बोल्यो
मजदूर री मजदुरी रा दाम बांध्योड़ा है
सरकारी डिपुवां में
से जिनसां रा दाम बांध्योड़ा है
नोकरी पेसां आळां रै
तिणखां मिहनै री बांध्योड़ी है
जणां
आपां मंगता मंगती
के मोरड़ी रै भाटो मारयो
जको आपणी भिक्षा रा दाम
बांध्योड़ा कोनी
सगळा मंगता अर मंगती
ताळयां री गड़गड़ाहट रै बीच
इयै प्रस्ताव रो समर्थन कर्यो
एक बडो मंगतो
प्रस्ताव रो समर्थन कर्तो
बोल्यो
देस'र प्रधानमंत्री नै
प्रस्ताव री प्रतिलिपि
आपणी मांग मानण
सारू भेज दी जावै
मांग मंजूर नीं हुई
तो
गगा मैया री सोगंध
खार सगळा मंगता-मंगती
आमरण अनशन सरू
कर देवैला।
ताळीयां री गड़गड़ाहट री
आवाज सूं सभा
खिंडीजी।