मृत्युलोक मतलबी मानखो, मतलब री करै मनुवार,

भरोसो अब छै भगवान रो, सिमरया होसी सार।

गरब करै छै मानखो घणो, माया रो अंहकार,

काम पडै जद थोरा करतो, मीठी करै छै मनुवार।

भरोसो अब छै भगवान रो, सिमरया होसी सार,

मृत्युलोक होसी सार॥

कलजुग मांयै दुखी काळजो, देखण मिनख मिनख दरार,

भाई भाई ज्यू जम भडतो, बेघो रै करै बटवार।

मां बाप नै बांठै महीणो, नित गिण गिण करत नकार,

बगत ऄडो खोटो बाजयो, धत मिनखपणा नै धिकार।

भरोसो अब छै भगवान रो, सिमरया होसी सार,

मृत्युलोक होसी सार॥

बूढा बडेरो संग बैठतो, बातो होत मन बतलार,

जाणता सुख दुखर् सगळा जो, पैली सै ऄक परिवार।

अब छै नहीं जमानो ऄडो, सैर तांई मिलण सार,

वायर ऄडो़ गजब वाजियों, जमानो अब रै झगडार।

भरोसो अब छै भगवान रो, सिमरया होसी सार,

मृत्युलोक होसी सार॥

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : रामाराम चौधरी ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
जुड़्योड़ा विसै