म्हारै नैणां में मूरत थारी है,

मां थूं भगवान म्हारी है।

थारै त्याग सूं म्हानैं जीवण मिल्यो

थूं आला में सोई

म्हानैं सूखा में सुवाण्या

आखी रात यूं जागती रैयी

जद म्हानैं दुख में थूं पायो है

म्हां नीं सुणता बात थारी

जद थूं म्हानैं पुचकारी है

मां थू भगवान म्हारी है।

म्हैं मुसीबत में जद पड़्यौ

थारै होबा सूं म्हूं नीं डस्यौ

हर पल यूं दिया करै दिलासौ

रोड़ो हटग्यो खुद

लीला भी थारी है

मां थू भगवान म्हारी है।

आखै जगत में घूम लियो

पण मां सूं नीं देख्यो दूजो भलो

रोटी मां रै हाथ री तो

सगळी दुनिया दिवानी है

मां थू भगवान म्हारी है।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : कृष्णा सिन्हा ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham