बिन आखर ई लिख दैवे
अंतस री बोलियाँ माँ
बिना बात दैवे आशीष
भर -भर झोळयां माँ
है हिसाब री साव काची
पण नी भूले काटणी,
थाहरी बाट में
भींता माथै,
मांड्योड़ी
औलियां माँ
अरथ रे ठाडे मौसम में
जमग्यो लोई
मिनखां रो
काया री सिलावां माथै
नीं लाधै मिनखपणा रा
कीं भी सैनाण
नीं पड़े फरक अबै
किणी मौसम रो
मान,सम्मान ,ईमान
नाता,रिसता
सगळा रिपिया है
समे सापित है भाई
मिनखां रो कांई दोस
कळजुग रे झपटा मांय
आयोड़ा हाँ
आपां सगळा इ