मिनख व्हैग्यो

साव नागो

आपदा नैं अवसर जाण

धावड़िया बण लूटै

दूजै मिनख नैं

कोई नकेल घालै इणरै

अर अेक

तळिया रगड़तो

निठल्लो बैठ्यो

बोट जोवै

ठालो बैठ’र

आस लेय’र

आस लेय’र

कै आवैली

ऊजळी परभात

पण खुद नैं नीं करै

कोई जुगत

मिनख नैं बचावण री

बस घुचरियो बण भूंसै

गुंभारियै मांय लुक्योड़ो

सूरज नैं माथो टेकणो चावै

पतरो बांचतो

सुभघड़ी नैं उडीकै

बूझै सगळां नैं

कद आवैला सतजुग रा राम

कद मिटसी कोहराम?

तीसरो मिनख

करै करमां री जुगत

अर लड़ै अेकलो ईज

कुण जाणै

चानण रो कतरो

ऊगतो दीसै

उणरै माथै।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली जुलाई-सितम्बर 2021 ,
  • सिरजक : मीनाक्षी आहुजा ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : मरूभूमि सोध संस्थान
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